इंसान दुनिया में बस एक घर बनाने क लिए कितनी साल की मेहनतें उसमें झोंक देता है, और यहीं तक बस नहीं कितनी शिद्दतें झेलनी पड़ती हैं उसे ऐसे घर को बनाने में जो बहुत वक़्त भी लेता है बनकर तैयार होने में । और , ये घर दायमी भी नहीं है क्यूंकि दुनिया में हर चीज़ को फ़ना होना है।
तो क्यों न हम ऐसे घर के बारे में सोचें जिसे बनाना भी बहुत आसान है, और वो ऐसा घर है जहाँ हमेशा-हमेशा के लिए ज़िन्दगी भी है और साथ में वो हर नेमत जो वहां मौजूद होगी।
जी हाँ ! अपने सही सुना।
हम बात कर रहे हैं जन्नत के घर की जिसे बनाना बेहद आसान है एक मोमिन के लिए।
बस ये समझ लीजिये कि दुनियां वाले जितने देर में एक गाना सुनते हैं उतने देर में हम जन्नत में 5-6 महल बना सकते हैं।
जन्नत में एक घर को बनाने में बस 1 मिनट लगता है लगभग।
10 बार सूरह इख़्लास पढ़ने पर 1 महल
इमाम अल-दारिमी ने सईद बिन अल-मुसैयिब से रिवायत किया कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया: “अगर कोई दस बार सूरह अल-इखलास का पढ़ता है, तो अल्लाह जन्नत में उसके लिए एक महल तामीर करेगा; और अगर कोई इसे बीस बार पढ़ता है; तो, अल्लाह जन्नत में दो महलों को तामीर करेगा और अगर कोई तीस बार पढता है, तो अल्लाह जन्नत में तीन महलों को तामीर करेगा ”। उमर ने कहा: ‘फिर हम अपने महलों की तादाद में इज़ाफ़ा करेंगे, पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा: “अल्लाह सबसे ज़्यादा सखी है”।
तो ज़रा सोचिये कितना आसान है जन्नत में महल बनाना! रोज़ाना अगर हम 10 मिनट भी निकल सकें तो हर रोज़ लगभग 100 महल बना सकेंगे जन्नत में। जहाँ हम दुनिया के घर क लिए इतना सोचते हैं, क्यों न आख़िरत का ख्याल करते हुवे सौराह इखलास पढ़ते रहने की आदत डाल लें की अल्लाह के रहमत से हमारे लिए जन्नत में महलें तामीर होती रहें।
सूरह इख़्लास को पढ़ने में मुश्किल से 6-8 सेकंड लगते हैं।

ज़रा इस हदीस पर भी नज़र डालिये
हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूरे पाक सल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया: जो शख्स इशा कि नमाज़ के बाद 2 रकत पढ़े और हर रकत में सूरह फातिहा के बाद 15 बार सूरह इख़्लास पढ़े तो अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत में 2 ऐसे महल तामीर करेगा जिन्हें अहले जन्नत देखने की कोशिश करेंगे। (Dar-e-Manshur, Jild 6)